हम सभी जानते हे की माता कैकेयी प्रभू श्री राम से बहुँत प्यार करती थी फिर उन्होने प्रभु श्री राम को वनवास क्यों दिया था |
सभी लोग यही समझते हे की माता कैकेयी ने श्री राम को वनवास उनके पुत्र भरत के लिए दिया था लेकिन जब माता कैकेयी प्रभु राम से सबसे ज्यादा प्यार करते थे तोह वेह उन्हें वनवास कैसे दे सकती थी यह सब पहले से ही निश्चित था | प्रभु श्री राम जिस कार्य के लिए धरती पे अवतरित हुए थे उन्हें उस कार्य के लिए वनवास जाना ही पड़ता यह सब तोह पहले ही निश्चित हो गया थ |
जब प्रभु राम छोटे थे तोह उन्होंने माता कैकेयी से पूछा की आप हम चारो में सबसे ज्यादा किसे प्यार करती हो |तोह माता कैकेयी ने बताया में सबसे ज्यादा प्यार तुम्हे ही करती हूँ राम मुझे तुम सबसे ज्यादा प्रिय हो | तोह प्रभु राम ने कहा माता अगर में आपको सबसे ज्यादा प्रिय हूँ तोह जो में आपसे मांगूंगा वोह अप मुझे दोगे | तो इस पर माता कैकेयी ने खा अवश्य तो प्रभु श्री राम ने माता कैकेयी से वचन माँगा और खा जब में बड़ा हो जाऊंगा तो मुझे अपने कार्य सिद्ध करने के लिए आपको मुझे 14 साल का वनवास देना होगा यह सुन कर माता कैकेयी चिंतित हो गयी परन्तु प्रभु राम के समझाने पर माता कैकेयी मान गयी|
इस लिए स्वम प्रभु राम के कहने पे ही माता कैकेयी ने उन्हें 14 साल का वनवास दिया था परन्तु उसी समय माता कैकेयी ने यह भी बोला था की पूरा संसार मुझे ही दोषी मानेगा परन्तु प्रभु राम के समझाने पे वोह समझ गयी | इस पश्चात माता कैकेयी ने भी प्रभु राम से वचन लिया की अगले जन्म में भी तुम मुझे पुत्र के रूप में प्राप्त हो और अगले जनम में मेरी ही कोख से आपका जन्म इस पर प्रभु श्री राम ने कहा ठीक हे माता अगले जन्म में आपके ही कोख से जन्म लूँगा परन्तु स्थिती ऐसे होगी की में आपका दूध नही पी पाउँगा में जन्म पश्चात ही में आपके कुछ समय के लिए आपसे बिछड़ जाऊंगा |
फिर अगले जन्म में प्रभु श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए और माता देवकी से जनम लिया माता देवकी ही पिछले जन्म माता कैकेयी थी और फिर उनका लालन पोषण माता यशोदा ने किआ जो की पिछले जन्म में माता कौशल्या थी | माता यशोदा ही पिछले जन्म में माता कौशल्या थी | इस प्रकार माता कैकेयी ने प्रभु राम के कहने पे ही उन्हें वनवास दिया था | तत्पश्चात प्रभु श्री राम माता सीता और प्रभु लक्ष्मण के साथ वन गये और बहुँत असुरो का नास किआ और ऋषि मुनिओ की सेवा की | इस पश्चात जब रावण ने छल से साधू का रूप धारण करके माता सीता को ले गया था |
उस पश्चात प्रभु राम ने लंका पे आक्रमण करके रावण का अंत कर दिया थे उन्होंने रावण के साथ साथ बहुँत सारे असुरो का भी अंत कर दिया था इस पश्चात उनका धरती पे अवतरित होने का कार्य संपन्न हुआ था | प्रभु राम ने लंका पर विजय प्राप्त करके विभीषण को लंका का राजा बना दिया और स्वम अयोध्या लौट आये उनके अयोध्या लोटने के उपलक्ष में ही दिवाली मनायी जाती हे |
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